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पंजाब के नशा मुक्ति केंद्रों में आने वाले 50 % बढ़े, रोज 8 से 10 लोगों की वेटिंग चल रही

पंजाब के नशा मुक्ति केंद्रों में आने वाले 50 फीसदी बढ़े, रोजाना 8 से 10 लोगों की वेटिंग चल रही
जालंधर.नशे की गिरफ्त में फंसा पंजाब क्या अब बदल रहा है? पिछले डेढ़ महीने में 50 से ज्यादा मौतों के बाद पंजाब में नशे के खिलाफ मुहिम में दिखाई दे रही तेजी से तो यही लगता है। राज्य के कुछ जिलों में नशा छुड़ाने के सरकारी केंद्रों में लंबी वेटिंग चल रही है, जबकि कुछ समय पहले तक यह केंद्र खाली रहते थे। नशा छोड़ने के लिए केंद्र आने वालों की संख्या में 20 से 50 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। स्थिति यह है कि अमृतसर में नशा मुक्ति केंद्र में जगह नहीं है। इसलिए गुरु नानक देव अस्पताल प्रबंधन ने अब सराय को भी नशा छुड़ाओ केंद्र में बदलने की तैयारी कर ली है।
सिर्फ नशा छोड़ने में ज्यादा परेशानी वालों को भर्ती की सुविधा:राज्य सरकार ने 81 ओट (आउट पेशेंट ओपीडी असिस्टेड ट्रीटमेंट क्लिनिक) सेंटर खोले हैं। इन केंद्रों में भी रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंच रहे हैं। जो युवा नशा छोड़ने में ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं, वो 10 दिन के लिए नशा छुड़ाओ केंद्र में भर्ती हो जाते हैं, जबकि जिनके अंदर थोड़ा आत्मबल बाकी है वो रोजाना इन सेंटर्स में बूप्रेनोरफीन और नालेक्सोन की गोली खाने के लिए जाएंगे। इस गोली को पीसकर जीभ के नीचे रखा जाता है, ताकि नशा करने वाले उसे दोबारा अन्य नशा करने वालों को न बेच दें या उसे पीसकर टीके से इंजेक्ट न कर लें। इन सेंटर्स में भी भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
हर शहर में पहली बार आ रहे हैं इतने मरीज
- जालंधर में दो सरकारी नशा छुड़ाओ केंद्र हैं। सिविल अस्पताल के केंद्र में 50 व नूरमहल सीएचसी में 10 बेड हैं। लंबी वेटिंग के चलते 10 लोगों को रोजाना बाद में आने को कहा जा रहा है।
- पठानकोट सिविल अस्पताल के केंद्र में 20 बेड हैं। मरीजों की संख्या 23 है। 13 नाम वेटिंग लिस्ट में हैं।
- अमृतसर सेंटर की क्षमता 50 बेड की है। कुछ समय पहले तक 30 मरीज ही भर्ती रहते थे। अब सेंटर फुल है। 20 मरीजों को पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया गया है।
- कपूरथला सरकारी अस्पताल में सभी 30 बिस्तर भर चुके हैं।
- फरीदकोट के गुरु गोविंद सिंह मेडिकल कॉलेज स्थित सेंटर में 30 बिस्तर हैं, लेकिन मरीजों की गिनती ज्यादा होने के चलते अब वहां 13 अतिरिक्त बेड लगाए गए हैं। पहली बार मरीजों की इतनी गिनती देखने को मिल रही है। ओपीडी में भी 50% की बढ़ोतरी हुई है।



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